श्री महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रं

अयि गिरिनंदिनि नंदतमेदिनि विश्वविनोदिनि नंदनुते गिरवर विंध्य शिरोधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते भगवति हे शितिकंठकुटुंबिनि भूरिकुटुंबिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्य कपर्दिनि शैलसुते आयि जगदंब मदंब कदंब वनप्रियवासिनि हासरते शिखरि शिरोमणि तुंगहिमालय शृंग निजालय मध्यगते मधुमधुरे मधुकैटभभंजिनि कैटभभंजिनि रासरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्य कपर्दिनि शैलसुते अयि रवणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धर निर्जर …